रात नाटक पढ़ते हुए
मैंने शराब पी
नाटक की नायिका से
अपने प्रेम का इजहार किया |
आज
मैं,
नाटक से बाहर हूँ ...!
रचनाकाल : जुलाई 2015
मैंने शराब पी
नाटक की नायिका से
अपने प्रेम का इजहार किया |
आज
मैं,
नाटक से बाहर हूँ ...!
रचनाकाल : जुलाई 2015
सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...
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