Friday, November 6, 2015

इन्कलाब ज़ारी रहे

आदिवासी जंगल से खदेड़े गए
किसान जमीन से बेदखल हुए
मज़दूर को बना दिया अपंग
मछुआरों से छीन लिया जाल और समन्दर
पहाड़ पर चढ़ गए टाटा, अडानी/ अम्बानी और जिंदल
अब बाकी बचे नागरिकों से देश छिना जा रहा है .
ज़मीन की लड़ाई लम्बी होती है साथियों....|
इन्कलाब ज़ारी रहे ......

चित्र : गूगल  से  साभार 

No comments:

Post a Comment

इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...