Tuesday, October 13, 2015

मैं तुमसे प्रेम करना चाहता हूँ

हत्याओं के इस दौर में
मैं तुमसे प्रेम करना चाहता हूँ
जैसे तुम चाहती हो
मतलब जैसे हम दोनों चाहते हैं
किन्तु एक दिक्कत है !
हम दोनों की चाहतों के बीच
आ जाती हैं
विश्व की सबसे प्राचीन परम्परा,
संस्कृति, और पता नहीं क्या -क्या
आजकल आ रहा है 'आदित्यनाथ', गिरिराज, प्रज्ञा,
रामसेना, बजरंगी...... मौलानाओं की भीड़
खाप तैयार बैठा है पंचायत सजा कर
फांसी के फंदे और बंदूक के साथ
और सबसे आगे हैं ...
हमारे माँ-बाप , बहन का भाई
जो चुपके से करता है प्यार किसी से
बस उसे पसंद नहीं .... किसी और का प्यार करना !
अब बोलो ....मेरी जान
क्या करें ....
प्यार करें
या समझौता !

No comments:

Post a Comment

इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...