Monday, September 7, 2015

हर सच को अपनी आलोचना मानती हैं सत्ता

हम सच बोलेंगे
और क़त्ल कर दिए जाएंगे
सत्ता डरती है सच से
हर सच को अपनी आलोचना मानती हैं सत्ता
हम भूले नहीं हैं
सुकरात को
उसके ज़हर के प्याले में
मिला दिया गया था हमारे हिस्से का ज़हर भी
सत्ता नहीं जानती
ज़हर से व्यक्ति मरता है
सच नहीं ||

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