Thursday, December 11, 2014

उन्होंने मुझे बेवफ़ा करार दिया

पिछले दिनों बहुत सोचा
कि कभी नहीं करूँगा खुलासा
उन अपनों के बारे में
जिन्हें मैंने अपना मान लिया था
बीतते वक्त के साथ हटता रहा धुंध
और साफ़ होता गया आइना
मैंने देखा अपना चेहरा
कई रात सोया नहीं मैं
और उन्हें लगा मैं अब तक नशें में हूँ
मैंने ग़ालिब को याद किया
खुद पर गर्व किया
और सोचता रहा जो होने वाला था
आज वही हुआ
उन्होंने मुझे बेवफ़ा करार दिया
और पुलिस ने दर्ज किया केस मेरे खिलाफ़
रिपोर्ट में मुझे देशद्रोही लिखा गया .

Sunday, November 2, 2014

चिड़िया घर में कैद हैं

ईंट -सीमेंट के इस जंगल में
मैं इंसान खोज रहा हूँ ,
सुना है सभी जानवर इनदिनों
चिड़िया घर में कैद हैं।

Tuesday, October 21, 2014

आओ पहाड़ों पर चलें

आओ पहाड़ों पर चलें
जहाँ बचे हुए हैं कुछ वृक्ष आज भी अपने दम पर
झरनों ने अभी दम नही तोड़ा
जीवन बाकी है अभी।
क्या पता मिल जाये कोई वन्य प्राणी टहलते हुए
जिन्हें हम जानवर कहते हैं अक्सर
और वे समझते हैं हमें इंसान
आओ , उन्हें बता दें हम अपने बारे में।

Friday, August 22, 2014

भाई मेरे कपड़े नही, मेरा चेहरा देखो।

उसके ठेले पर हर सामान है
मतलब सुई -धागा से लेकर चूड़ी , बिंदी , नेल पालिस , आलता
कपड़े धोने वाला ब्रश
और उसके ग्राहक हैं -वही लोग , जो खुश हो जाते हैं
किसी मेले की चमकती रौशनी से , लाउड स्पीकर के बजने से
ये सभी लोग जो आज भी
दिनभर की जी तोड़ मेहनत के बाद
अपने शहरी डेरे पर पका कर
खाते हैं दाल -भात और चोखा
कभी -कभी खाते हैं
माड़ -भात नून से

इनदिनों जब कभी मैं पहनता हूँ इस्त्री किया कपड़ा
शर्मा जाता हूँ उनके सामने आने से
लगता है कहीं दूर चला आया हूँ अपनी माटी से

आज मैं भी था उनके बीच बहुत दिनों बाद
ठेले वाले से कहा उन्होंने - साहेब को पहले दे दो भाई।
मेरे पैर में जूते थे , हाथ में लैपटाप का बैग
मेरे कपड़े महंगे थे ,
मुझे शर्म आई , सोचा कह दूँ - भाई मेरे कपड़े नही
मेरा चेहरा देखो।

Monday, July 14, 2014

मैं रोना नही चाहता

मैं रोना नही चाहता किसी के लिए
न फिलिस्तीनी बच्चों के लिए
न ही देश के किसानो के लिए
और न ही उन प्रेमी जोड़ियों के लिए
जिन्हें खाप पंचायतों ने दी है
सजाए मौत ,

प्रेम करने की जुर्म में 
मैं लड़ना चाहता हूँ
उनके लिए।

Wednesday, April 9, 2014

सियार चरित्र

आये थे सियार बैनर लेकर 
कि अब से 
सच बोलेंगे 
सच सुनेंगे 
सच का देंगे साथ
किन्तु, मैं जनता था 
कि ये सभी सियार हैं 
बदलेंगे, 
जब देखेंगे 
शेर ने छोड़ दिया है 
अपना झूठा मांस
तब सभी टूट पड़ेंगे

सियार कुछ भी बोले
परख के लिए एक बार
उन्हें छोड़ देना चाहिए
बारिश में...|

Wednesday, April 2, 2014

चुम्बक

चुम्बक जिसके सदा
दो कोन होते हैं
दोनों ही कोन
जो सदा आकर्षित करते  हैं
विपरीत कोनो को
और  अलग करते  हैं
समान कोन वालों को

मतलब चुम्बक सन्देश देता है
कि अपने विपरीत विचारधारा वाले का भी
हमें स्वागत करना  चाहिए

बहुत पहले जान लिया था इस विचार को
संत कबीर ने
जबकि तब कहीं किसी को पता नही था
चुम्बक के बारे में
किन्तु आज ऐसा होता नही
जबकि हम घिरे हुए हैं चुम्बकों से
किन्तु करते हैं  व्यावहार
चुम्बक के सिद्धांत के विरुद्ध
हम खोजते हैं
अपने जैसे विचारधारा वालों को ......


Wednesday, March 26, 2014

भूतों के राजा का वरदान तो कल्पना है

राजा तो राजा ही था 
और गायेन था सिर्फ 'गायेन'
उसी तरह बाइन था सिर्फ 'बायेन ' 
राजा था शायद ठाकुर या शायद ब्राह्मण 
या शायद क्षत्रिय 

पुरस्कार के नाम पर 
दोनों को छला राजा ने 
राजा इंद्र का प्रतीक मानता है खुद को 
जंगल भेज दिया गायेन और बायेन को 

पर हुआ क्या ?
उन्हें मिला भूतों का राजा
और ...हो गये मशहूर

तो दंड भी कभी -कभी वरदान हो जाता है
पर यह मत समझो कि
आप सभी राजा हैं
और आप देंगे दंड
फिर जब कोई खड़ा होगा अपने पैरों पर
दावा करोगे
कि तुम्हारे कारण हुआ ....
तब मैं हंसूंगा

क्यों कि आप सत्यजीत राय कभी नही हो सकते
कुटिल ही रहोगे

भूतों के राजा का वरदान तो कल्पना है
यह तो संघर्ष का फल है

जो उन्हें मिला
मैं सच कह रहा हूँ
अनुभव है मेरा ........



(सत्यजीत राय की फिल्म गुपी गायेन बाघा बाइन से प्रभावित ..)

Friday, March 21, 2014

ক্যানিং নদী

ক্যানিং নদী মোজে গেছে 
দু ধারে অসংখ মানুষের বসবাস 
দাদু বলতেন 
এক সময় এই নদী নাকি ছিল খুব রাগী ,
দুরন্ত।
আসত যখন জোয়ার
মনে হত 


আসছে সেই অহঙ্কারী ইংরেজ অফিসার
লার্ড ক্যানিং
এক মাতালের মত
তাই এর নাম ছিল মাতলা নদী
এখন আর সেই রাগ নেই

বুড়ো হয়ে গেছে
ভাটা পড়লে দেখা যায় তার তলে পাঁক
ধসে যায় নৌকো
কাপড় গুছিয়ে পার করে তাকে সব
নদী ও বুড়ো হয়ে যায় গো মানুষের মতো
কত -কত মাছ , চিংড়ি
কত -কত জলীয় জীব বাস করতো আগে
তুমি তো ছিলে সুন্দর বনের জীবন রেখা
মেলা লাগতো
ছেলে -মেয়ে , বউ , মা , বাবা
সবাই আসতেন
মাঝিরা খেয়া টানতেন
ফুল , প্রদীপ , বাতাসা দিয়ে
তোমার পূজা করতেন

আমি বুঝলাম
তোমার অবস্থা
আর মানুষের গল্প এক হি
তুমি সুখিয়ে যাচ্ছ
আমি পাচ্ছি অসীম বেদনা
আমি দেখতে চাই আবার
তোমার সেই যৌবন। ...

Thursday, March 13, 2014

मुझ पर यह आरोप है

मुझ पर यह
आरोप है 
कि मैंने किया है उपहास 
उनके भगवान का |
यह आरोप 
मैने स्वीकार किया, 
पक्षपाती भगवान के लिए 
नही है कोई आदर 
मेरे मन में ....

Monday, February 10, 2014

काश, कभी सच हो पाता मेरा ये सपना

दिनभर की थकान के बाद 
जब घुसता हूँ 
अपने दस -बाई -दस के कमरे में 
फिर मांजता हूँ बर्तन 
और गूंथने लगता हूँ आटा 
सोचता हूँ 
रोटी के बारे में 
तब यादे आते हैं कई चेहरे 
जिन्हें देखा था खोदते हुए सड़क 
या रंगते हुए आलिशान भवन 
तब और भी बढ़ जाती है
मेरी थकान
और मैं सोचता हूँ
उनकी रोटी के बारे में

जी चाहता है
बुला लूं एक रोज उन सबको
और अपने हाथों से बना कर खिलाऊ
गरम -गरम रोटियां

काश, कभी सच हो पाता मेरा ये सपना
उस  दिन मैं सबसे खुश होता इस देश में .

Sunday, February 2, 2014

जम्हूरियत की बात मत पूछो यारों

जम्हूरियत की बात न पूछो 
यहाँ तो बेचीं जा रही हैं
कब्रिस्तान की ज़मीने 
ज़ुबान हमारी तुतलाने लगी हैं 
वजीरों के गीत गाते -गाते 
जम्हूरियत की बात मत पूछो यारों 

ये कैसी जम्हूरियत है 
जहाँ पाले जाते हैं 
तानाशाही हुक्मरान 
और भूख से मरते हैं आवाम
अब सोचिये
चाहिए क्या हमें ,
चंद खानदान
या पूरा हिन्दुस्तान ?

Friday, January 24, 2014

पानी पर वृत

शांत जल में पत्थर फेंकने पर 
एक वृत बनता है 
छोटे से बड़ा 
और बड़ा बनता है 
पानी के सीने पर वृत बनाना 
आसान लगता है सबको ......

फेंका हुआ कंकड़ 
पहुँच जाता है तल में 
और ऊपर मिटने लगता है 'वृत'
हम कभी नही बचा पाते
अलग  हुए जल को फिर मिलने से
पानी का यह गुण
नहीं मिलता मनुष्यों में ...
जबकि हम बने हुए हैं जल से 

इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...