Thursday, June 7, 2012

मैं सक्रिय हूँ अहसास होता रहे |

मेरा विरोध 
यूँ ही जारी रहे 
ताकि , 
मैं सक्रिय हूँ 
अहसास होता रहे |

रोज करो
तुम मेरी मौत की दुआ
मैं जीवित हूँ
अहसास होता रहे |

यूँ ही देते रहो 
अहसानों के ताने
ताकि , मैं ऋणी हूँ तुम्हारा
यह अहसास होता रहे |

छुप कर करो वार
पीठ पर
एक दुश्मन है मेरा, कायर
अहसास होता रहे |

2 comments:

  1. बहुत खूब ....बहुत पसंद आया ...सही और सच है आपके हर लफ्ज में ...

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  2. bahut khoob, bahut sahj shbdo me gahn arth smetne ka fnn hai aapme nittya ji.

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इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...