Wednesday, June 6, 2012

बंद आँखों से खोजना मुझे

तुम्हारे कांधों से 
जब उतरे 
मेरी सांसे 
और भीग जाये 
तुम्हारा तन 
मेरे अश्कों से
तब....
बंद आँखों से खोजना मुझे
तुम बीते हुए

 हर लम्हे  में
मेरी मौजूदगी का अहसास होने तक .........

2 comments:

इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...