Friday, March 9, 2012

स्थापित करे कोई नई मिशाल.................

कब तक देखूँगा तमाशा 
मूक ,
निशब्द 
मूर्ति बनकर
मूर्छित चेतना
निरंकुश व्यवस्था 
कबतक सहेंगे 
हम ये व्यवस्था ?
आओ उठाये 
क्रांति मशाल 
हम भी धरे रूप विशाल 
स्थापित करे कोई नई मिसाल .................

4 comments:

  1. Wah, Bahut khoob...
    iraade nek...prarambh ho

    ReplyDelete
    Replies
    1. सुंदर ... एक मिशाल अन्ना ने उठाई है ... आओ उसे पकडे ... गिरने न दे

      Delete
  2. सुन्दर प्रस्तुति !
    आभार !

    ReplyDelete
  3. यह शांति है
    किसी संभावित अशांति की,
    संभावित क्रांति की,
    अभी यह केवल एक भ्रांति है।

    ReplyDelete

इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...