Sunday, February 5, 2012

मुद्दत से उगाया जाता है इन्हें ...................


 कुछ साये 
ऐसे भी होते हैं 
जिनका कोई 
चेहरा नही होता 
नाम नही होता 
केवल
 भयानक होते हैं 
नफ़रत की बू  आती है 
भय का आभास होता है 

कहीं भी हो सकते हैं 
अयोध्या में 
गोधरा में 
इराक या अफगानिस्तान में 
किसी भी वक्त 

इंसानी खून से 
रंगे हुए हाथ 
इनकी पहचान है 

कोई मज़हब नही इनका 
ये साये 
खुद के भगवान्  होते हैं 

खुद नही उगते ये 
मुद्दत से उगाया जाता है इन्हें ...................

3 comments:

  1. खुद नही उगते ये
    मुद्दत से उगाया जाता है इन्हें ...................

    बड़ी जुगत लगा कर अपने स्वार्थ पूरा करने को इनका पोषण होता है , सच में

    ReplyDelete
  2. सही कहा आपने ..............आभार मोनिका जी

    ReplyDelete
  3. hamare samay ki kadvi sachhai ko ujagar karti ye panktiyyan nihayat sadgi se kathya ko samne lati hai .

    ReplyDelete

इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...