Wednesday, April 28, 2010

मेरे शुन्य आकाश

मेरे शुन्य आकाश को भरने की
तमन्ना है अब मेरे दिल में
अपनी योग्यता को
जांचने की तमन्ना है अब दिल में .
मेरा आकाश शुन्य है
किन्तु जड़ा है तारों से
एक चाँद है
मेरे  आकाश में
देवतायों ने रिक्त  कर दिया है मेरा आकाश
उनका  स्वर्ग  अब बदल चुका है
अब वे शहरों के आलीशान मंदिरों में बसते हैं
मेरे शुन्य आकाश की 
असीमित  सीमायों के परे
रहते हैं  जो 
उनको  मेरा आमंत्रण
आकर वस जाओ
मेरे शुन्य आकाश में
यहाँ तुम्हे 
भय न  होगा
किसी दल  या नेता का
कोई नही जलाएगा
तुम्हारा घर यहाँ
कोई नही  बंटेगा तुम्हे यहाँ
भाषा , धर्म और जाति के नाम पर 
कोई नही होगा यहाँ
आरक्षित किसी स्तर पर
सब समान होंगे यहाँ
सच है कि शुन्य कुछ नही
किन्तु यह भी सच है
शुन्य बिन  कुछ नही .

इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...