मेरा जीवन
हादसों का एक तालाब है
और मैं उसमें
एक मछली की तरह
तैर रहा हूँ ।
गीत कई गाएं हैं मैंने
किंतु
बिना सुर ताल के
मेरा जीवन हादसों का जाल है
हर कदम - हर साँस पर
संघर्ष की माया जाल है ।
चक्रवूह की तरह
मुझे हादसों ने घेरा है .
Tuesday, October 27, 2009
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इक बूंद इंसानियत
सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...
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