मै तुम्हारे साथ रहा
तुम्हारे जीवन में
किंतु
एक अभ्यासपुस्तिका की तरह
तुमने लिखा फिर
मिटाया
फिर लिखा
फिर मिटाया
अब
पुस्तिका फट गई है
पन्ने भी भर गए हैं
अब
तुम्हे एक
नई पुस्तिका चाहिए
पुनः अभ्यास के लिए /
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इक बूंद इंसानियत
सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...
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सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...
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बरसात में कभी देखिये नदी को नहाते हुए उसकी ख़ुशी और उमंग को महसूस कीजिये कभी विस्तार लेती नदी जब गाती है सागर से मिलन का गीत दोनों पाटों को ...
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वे सारे रंग जो साँझ के वक्त फैले हुए थे क्षितिज पर मैंने भर लिया है उन्हें अपनी आँखों में तुम्हारे लिए वर्षों से किताब के बीच में रख...
seems straight from a broken heart ..
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